मोक्ष पाओगे!
राम को हराकर बता क्या पाओगे,
सत्य को पछाड़कर भी क्या पाओगे?
अगर सत्य के पाले में खड़े रहे तो,
जाते - जाते धरा से मोक्ष पाओगे।
कौन होगी अंतिम साँस, किसे पता,
मिसाइलें सजाकर तुम क्या पाओगे?
बढ़े तो बढ़ाओ भाई पुण्य की गँठरी,
झूठ बोलकर वसुधा जीत पाओगे?
भरी पड़ी धन-दौलत से तेरी हबेली,
क्या उसे बेचके साँस खरीद पाओगे?
उगाओ अपने दिल में अब दिव्य दृष्टि,
बिना भाप बने क्या बादल बन पाओगे?
जग को समझना इतना आसान नहीं,
किसी घायल की पीड़ा समझ पाओगे?
मैं भी मेहमान और तू भी मेहमान,
नसीब में होगा तभी कफन पाओगे।
न होगा वकील वहाँ,न मुसिंफ,न गवाह,
किसके सहारे तू वहाँ बच पाओगे?
नया- नया है तेरा समन्दर उफान पे,
क्या कभी अगस्त्य मुनि को भूल पाओगे?
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
Khan
28-Nov-2022 10:09 PM
Very nice 👍👌💐
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Gunjan Kamal
28-Nov-2022 07:26 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Rajeev kumar jha
26-Nov-2022 07:55 PM
शानदार
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